Description
कालजयी सूफ़ी कवि मलिक मुहम्मद जायसी का ‘पदमावत’ हिंदी के सर्वोत्तम प्रबंध-काव्यों में है। ठेठ अवधी के माधुर्य और भावों की गंभीरता के विचार से यह काव्य बहुत ही उच्च कोटि का है। इस ग्रंथावली में हरेक पृष्ठ पर कठिन शब्दों के अर्थ तथा दूसरे आवश्यक विवरण दे दिए गए हैं। शुरुआत में इसके संपादक और कविता के सिद्धहस्त समालोचक आचार्य रामचंद्र शुक्ल की प्रायः 200 पृष्ठों की भूमिका है; जिसके कारण सोने में सुगंध आ गई है। अंत में जायसी का ‘अखरावट’ और ‘आख़िरी कलाम’ भी दिया गया है।
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