Description
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का दस्तावेज़ी निबंध—कविता क्या है ? हिंदी के विद्यार्थियों, अध्यापकों, अनुसंधाताओं, कवियों, आलोचकों और साहित्य-प्रेमियों की पीढ़ियों ने शुक्लजी के निबंध-संग्रह ‘चिंतामणि’ के पहले भाग में उसे पढ़ा है. उस महान निबंध का सारतत्व हिंदी पाठक के अंतःकरण में रिस गया है. असल में हिंदी जाति का पाठक थोड़ा-बहुत वही निबंध हो भी गया है. इस विलक्षण निबंध का पहला ड्राफ़्ट 24 बरस के एक नौजवान आलोचक ने लिखा था; जिसे 44 साल के बीहड़ संपादक ने अपनी पत्रिका में प्रभूत संशोधनों के साथ छापा था. दूसरा मज़मून 39 साल के सिद्ध कोशकार, संपादक, अध्यापक और आलोचक ने लिखा था. और अंतिम प्रारूप हिंदी के हित के अभिमान—आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने.
नागरीप्रचारिणी सभा ने पूरी सुरुचि, सावधानी और मनोयोग के साथ ये सभी संस्करण एक ही जिल्द में प्रकाशित कर दिए हैं. स्पष्ट है कि पुस्तक का नाम है—कविता क्या है ? लेकिन यही नहीं; हमने इस पुस्तक में 1908 में लिखा गया शुक्लजी का बिल्कुल पहला वाला निबंध; उस प्रारूप पर आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी के संशोधनों के साथ प्रकाशित किया है, ताकि हिंदी के सुधी पाठक देख सकें कि एक लेखक के निर्माण में निर्माता संपादक कितनी ऐतिहासिक भूमिका निभाता है.
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